यदि वैश्विक स्तर पर बात करें तो मोटापा जीवनशैली संबंधित मृत्यु के उन कारणों में से एक है जिन्हें नियंत्रित किया जा सकता है, और इस स्थिति से लड़ने के लिए वृहत स्तर पर प्रयास की ज़रूरत है. यहाँ यह समझना बेहद ज़रूरी है कि मोटापा, मेटाबोलिक कॉम्प्लिकेशन जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, फैटी लिवर आदि तकरीबन महामारी की कगार पर आ गये हैं. यदि भारत की बात करें तो भारत को दुनिया की डायबिटीज कैपिटल के नाम से भी जाना जाता है. इस कड़ी में यह समझना ज़रूरी है कि डायबिटीज और मोटापे से बहुत मामलों में संबंध होता है. टाइप 2 डायबिटीज के तकरीबन 90 फ़ीसदी मरीज़ अत्यधिक मोटापे के शिकार देखे जाते हैं. ऐसे में बहुत से वैज्ञानिक इस स्थिति को “डायबेसिटी” (डायबिटीज+ ओबेसिटी) की उपमा देते हैं.
आज एक दौर में 25 फ़ीसदी इंडस्टट्रियलाइज्ड दुनिया इस आधुनिक महामारी की चपेट में है. यहाँ सह समझना भी ज़रूरी है कि न केवल ऐसी बीमारियों से बचाव संभव होता है बल्कि बहुत से मामलों में इससे जुड़ी जटिलताओं को भी खत्म किया जा सकता है.
सरल भाषा में यदि कहा जाए तो जीवनशैली में परिवर्तन, डाइट, नियमित व्यायाम आदि मोटापे से बचने के सबसे कारगर तरीके हैं, और स्वस्थ जीवन जीने के लिए उचित वजन का होना बहुत सी शर्तों में से एक है, ऐसे में हरेक व्यक्ति को अपना वजन अपने बीएमआई (बॉडी मॉस इंडेक्स) के अनुसार सही रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. ऐसे में यदि किसी का वजन 5 से 10 किलोग्राम बढ़ता है तो उसी समय इन तरीकों को जीवनशैली में उतार लेना चाहिए, क्योंकि जब यही वजन तरीबन 35 किलो से ज्यादा बढ़ जाता है तब ये तरीके कारगर नहीं होते, और इसके लिए बेरियेट्रिक सर्जरी जैसे इलाज की ज़रुरत पड़ सकती है.
क्या है बीएमआई: बीएमआई एक ऐसा सूचकांक या माप है जिसके द्वारा व्यक्ति के कद के अनुसार उसके उचित वजन का पता लगाया जाता है, जिसे बहुत सलार तरीके से एक फार्मूला से निकाला जा सकता है.
बीएमआई फार्मूला: बीएमआई= वजन/(ऊंचाईxउंचाई )
अंडरवेट= 18.5 से कम बीएमआई
उचित वजन= 18.5 से 19.5 बीच में बीएमआई
ओवेरवेट= 25 से 29.9 बीएमआई
ओबीस या गंभ्हेर मोटापा= 30 से अधिक बीएमआई
डब्ल्यूएचओ जैसे संस्थान के भी यह मानते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का बीएमआई 40 से ज्यादा है या मोटापे संबंधित समस्याओं के साथ 35 से ज्यादा है तो बेरियेट्रिक सर्जरी उचित विकल्प है. क्योंकि इससे न सिर्फ वजन घटाने में मदद मिलती है बल्कि उससे जुड़ी बीमारियों में अक्सर सुधार देखने को मिलता है और लम्बे स्वस्थ जीवन की सम्भावना भी बढ़ जाती है.
इसलिए यदि आप या आपके आस पास कोई गंभीर रूप से मोटापे के शिकार है, और बीएमआई 40 या उससे ज़्यादा हो चुका है तो संबंधित डॉक्टर की सलाह पर बेरियेट्रिक सर्जरी पर विचार कर सकते हैं. और यह जितना जल्दी हो सके उतना उचित है क्योंकि देर करने पर मोटापे से संबंधित अन्य बीमारियाँ व परेशानियां गंभीर रूप ले सकतीं हैं, जिनका परिणाम और भी गंभीर हो सकता है.
क्या है बेरियेट्रिक सर्जरी: दरअसल बेरियेट्रिक सर्जरी गंभीर मोटापे कारगर इलाजों में से एक है. इस प्रोसीजर में मरीज़ के पेट में भोजन की उस मात्रा को नियंत्रित किया जाता है जिसके कारण या तो पोषक तत्वों का सही अवशोषण नहीं हो रहा होता, या इसके साथ साथ पेट संबंधी गड़बड़ियां हो रही होतीं हैं. साथ ही बेरियेट्रिक सर्जरी के ज़रिये व्यक्ति में हार्मोनल बदलाव भी किये जाते हैं जिसके व्यापक स्वास्थ्य संबंधी फायदे होते हैं. इस पूरी प्रक्रिया के फलस्वरूप मरीज़ के वजन पर नियंत्रण होता है. आज के आधुनिक दौर में इस तरह के मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर का बहुत चलन है, यानी ये ऐसे प्रोसीजर हैं जिनमें कम से कम चीर फाड़ व दर्द की सम्भावना होती है और मरीज़ को भी तुलनात्मक रूप से अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है.
बेरियेट्रिक सर्जरी के फायदे:
• वजन पर नियंत्रण, जो मरीज़ का मूल उद्देश्य होता है.
• मोटापे से सम्बंधित बीमारियों में सुधार.
• आत्मविश्वास में बढ़त व जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन.


